बसंत ऋतु आगमन है परदेश से लौटे साजन हैं , बेसबरी से इंतेजार था जिन आँखों को उनका बसंत ऋतु आगमन है परदेश से लौटे साजन हैं , बेसबरी से इंतेजार था जिन आँ...
जिसे चाहा हो तुमने उसके चले जाने के बाद हर जगह उसी को ढूंढना मगर कही भी उसका पूरी तरह से एक जगह न मि... जिसे चाहा हो तुमने उसके चले जाने के बाद हर जगह उसी को ढूंढना मगर कही भी उसका पूर...
बस गलती तो नजरों की है जो तुझको अपना, दिल दे बैठे ! बस गलती तो नजरों की है जो तुझको अपना, दिल दे बैठे !
दिल ये पागल कहता है के दिन में तारे गिन, जून की धूप ना जाने कहता है सारे गिन। ना दिल ये पागल कहता है के दिन में तारे गिन, जून की धूप ना जाने कहता है सार...
लाज शर्म को छोड़। लाज शर्म को छोड़।